बीते वर्ष 27 अक्टूबर को एक फिल्म रिलीज़ हुई- (12th Fail). भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी मनोज कुमार शर्मा पर आधारित इस फिल्म की रिलीज़ से पहले काफी चर्चा थी| दुनिया के सबसे मुश्किल प्रवेश परीक्षाओं में से एक UPSC पर एक वेब सीरीज एस्पिरेंट्स हाल में आई थी और सराही गयी|
12th Fail के निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा (Vidhu Vinod Chopra) का मैं फैन रहा हूँ| परिंदा, करीब, मिशन कश्मीर मेरी आल टाइम फेवरेट फिल्मों में से है| इसलिए जब 12th Fail सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई तो मैंने बिना वक़्त गंवाए इस फिल्म को देख डाला| साल के अंत में यह फिल्म OTT पर भी रिलीज़ हुई तो एक बार फिर देखा| अब कोई एक ही फिल्म को ३ महीने के अंतराल पर दो बार देखे तो एक पाठक के तौर पर आपकी उत्सुकता जागेगी ही| की आखिर इस फिल्म में है क्या?
12th फेल के कई सीन आजकल सोशल मीडिया पर रील्स के तौर पर शेयर किए जा रहे हैं| सच बताऊँ तो ऐसी फिल्मों को हर भारतीय को देखना चाहिए, खासकर की वो युवा जो अक्सर संसाधनों के अभाव को दोष देकर संघर्ष करने से पीछे हट जाते हैं| विक्रांत मैसी (Vikrant Massey), मेधा शंकर (Medha Shankar), अनंत जोशी (Anant Joshi) और अंशुमन पुष्कर (Anshuman Pushkar) अभिनीत यह फिल्म ऑस्कर्स के लिए भी भारत के तरफ से सबमिट हो चुकी है|
फिल्म की कहानी चम्बल, मध्य प्रदेश के एक छोटे से ग्राम बिलगाव में है| मनोज कुमार शर्मा के पिता एक ईमानदार और उसूलों के पक्के क्लर्क हैं जो भ्रष्टाचार और बेईमानी के लिए लड़ते हैं| इससे उलट मनोज बारहवीं की परीक्षा में चीटिंग करने के लिए फर्रे बना रहा है| एग्जाम में सब सही चल रहा है मगर तभी वहां एक ईमानदार डी एस पी दुष्यंत सिंह की एंट्री होती है| यह कड़क अफसर परीक्षा में नक़ल रुकवा देता है जिसके कारण मनोज फेल हो जाता है| मगर एक रात इस DSP से मुलाकात मनोज की ज़िन्दगी बदल देती है|
मगर ऐसा क्या है इस 12th Fail फिल्म में जो बॉलीवुड में बन रही फिल्मों से बिलकुल अलग है?
12th Fail इंस्पिरेशन
मनोज बेहद कठिन परिस्थितियों को पराजित कर अपने लक्ष्य को हासिल करता है, यह इम्पोर्टेन्ट नहीं है| वह किस तरह उन विषम हालात में भी ‘हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा’ दोहराते हुए संघर्ष करता है| ग्वालियर में भूखे पेट रहने से लेकर दिल्ली में आटा चक्की में काम करते हुए वह साल दर साल अपने एटेम्पट देते जाता है| हम अक्सर अपनी तकदीर, हालात, गरीबी या अन्य कारणों को अपनी असफलता के लिए दोष देते हैं|
दोस्तों का साथ
फिल्म में दिखाया है कैसे मनोज की सफलता में उसके दोस्तों का अहम् योगदान है| चाहे वो प्रीतम पांडेय हो जिसने एक अजनबी को, जिसे UPSC का मतलब भी न पता हो, उसे तुरंत साथ दिल्ली ले चलने को राज़ी हो गया| या फिर गौरी भैया जो UPSC के सभी एटेम्पट में भी क्लियर न कर पाने के बावजूद मनोज की पूरी मदद करते हैं| उन्होंने ही कहा था, जब एक व्यक्ति की जीत होती है, वो सबकी जीत होती है
प्रेम
अक्सर प्रेम को एक डिस्ट्रैक्शन का कारण माना जाता है, मगर मनोज के जीवन में श्रद्धा का योगदान बहुत ही बड़ा है| PCS क्लियर कर चुकी श्रद्धा मनोज के साथ उसके संघर्ष में शुरू से अंत तक रहती है| सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे एक रील में श्रद्धा UPSC ऑफिस में मनोज का रिजल्ट देखती है और उसके बाद का दृश्य बेहद भावुक है|
अतः,अगर आप अभी भी यह सोच कर बैठे हैं की ‘मेरी किस्मत ख़राब है, मेरे पास संसाधन नहीं है,’, तो एक बार यह फिल्म देखिए ज़रूर|
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